एक नजर जब्भी जलमग्न धरती पर पड़ी, रोते, चिल्लाते लोगों की शोर कानो मे जगी। आसमानो मे उड़ते पंछी चारों के लिए , नंगे, भूखे देख कर हृदय जैसे फट पड़ी। एक करुणा तनमन मे थी, एक ज्वाला मन मे थी जगी। कुछ करना चाहता था मै, कुछ सोच कर फिर रुक गया। अपनी हालत को देख कर मैं रोपडा खामोसी से, देश की यह हालत है और देश कुछ ना कर सकी, मै तो एक इंसान हूं, क्या कर सकूंगा सोच कर,क्या कर सकूंगा सोच कर….“