Manoj Karn
Maithili poems

“नै करू अभिमान अतेक सुंदरता पर गोरी । मन हम्मर साफ़ बड़ी अई, दिल मे नै कोनो चोरी । प्रेम प्रतिज्ञा लेब आही संग करब जोरा जोरी । नै करू अभिमान अतेक …..

Maithili

“मिथिला के हम बालक छी,मैथिल पर अभिमान लिखै छी । सब लोगन के मान रखै छी, भूमी पर गुमान लिखै छी । राह बिरला अइ, मन व्याकुल त उगना के प्रणाम लिखै छी ।”

Maithili

“मिथिला के हम बालक छी,मैथिल पर अभिमान लिखै छी । सब लोगन के मान रखै छी, भूमी पर गुमान लिखै छी । राह बिरल अइ, मन व्याकुल त उगना के प्रणाम लिखै छी । आभारी छी इ धरती के, गाथा हम माहान लिखै छी । सीता के तरफ स राम के प्रणाम लिखै छी । संस्कृति इ प्रांगण के सब स बिसाल लिखै छी । मैथिल छी हम मिथिला के गुणगान लिखै छी । मिथिला के धरती के हम सत सत प्रणाम लिखै छी । “

Maithili

“हम छी मिथिला के बालक आहा हम्मर मिथिलानी । हर जनम मे साथ मिला आशा करै छी रानी । आहक कदम के फल अछी,जीवन मे हम सफल अछी। खुसी सब धरण पर बैठल, जीवन मे बड़ प्रेम अछी। हम छी मिथिला के बालक …..”

Maithili

“मै यहां हूं, मै वहां हूं, गुमशुदा हूं । खुद को ढूंढता फिरता मै यहां वहां हूं। तरास्ता हूं खुद को तलाश ने के लिए । इस शहर में मै ही तो बावरा हूं ।”

Maithili poems

रात की अँधेरे मे मै चलता हूँ, क्या पता किस को मैं छलता हूँ। क्यूं चुभती है उजाला मुझे, या सच्चाई से मै डरता हूँ।