Manoj Karn

News

Love poems

title=”निर्गुण निर्मोही बना, मन का बना बिकार । किन रास्तों पर जा फसा, दिल मे किस की आश । बारिश रिमझीम को पड़े, पानी बुझे ना प्यास । तन मन मे ज्वाला भरे, ये कैसा एह्सास ।”

Life Poems

“मुस्कराहट के बारिशों मे भीगना चाहता हु । मै फिर खुले आसमा मे उड़ना चाहता हु । कटी पतंग सा रास्तो मे खोना चाहता हु । मै फिर आपने बचपन को जीना चाहता हु ।

Life Poems

“कटी पतंग हु, कब्तलक हवा से लडू । बह चलू तो कब्तलक यू बह चलू । आसमां का ना रहा, ना रहा जमीका । कब्तलक अपने जमीर से ही बगावत करु ।”

Love Poem

“निर्गुण निर्मोही बना, मन का बना बिकार । किन रस्तों पर जा फसा, मंज़िल दिखे ना पास । बारिश रिमझीम को पड़े, पानी बुझे ना प्यास । तन मन मे ज्वाला भरे, ये कैसा एह्सास ।”

Life Poems

“यू ढूँढते हस्तियो की अस्थियां के सब राख मे मिली हो और सब्र का बाँध बाँधे बस यूंही जी रहे है हम।”

Life Poems

अपने रेहबर की सौगात लिए फिरता हु । तनहा मुसाफिर हु दिल मे कई जज्बात लिये फिरता हूं । वो खुश है के नेस्तोनाबूत कर दी यह सोच कर । बाबजूद इस के, दिलो मे मोहोबत का राग लिए फिरता हु।