Manoj Karn

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Life Poem

“चाँद के धोख़े मे कही मसाल ना भुझ जाए । अँधेरा बहुत है, चराग जलाए रखना । राहगिरों को कही चोट ना लग जाये । रास्तों पे रौशनी बनाए रखना ।”

Love Poems

“रोज़ समंदर से हो गुजरता हूँ। रूबरू के डर से अँधेरे मे निकलता हूँ। इश्क किया कोई खता तो नही की । पर अंजाम को सोच सोच आगाज़ से डरता हूँ ।”

Love Poem

“वक़्त के भीड़ मे ,मै कही खो गया हूं। आज फिर अपने अतीत पर मै रो गया हूं। कुछ इश्तरः मजबूर हु जरूरतों के आगे । अपने सपनो को बेच कर सो गया हूं ।”

Motivation Poem

“चलो लेकर मुस्कान कुछ ख़ाब, कुछ अरमान । राह बिरल, बाधा हर कदम पे है खड़ी । डरो ना, लड़ो तुम, क्यों की पाना आसां नही सम्मान । हर पग के है चेहरे, कुछ अपने से, कुछ पराये से। किसी से तुम को ना मिलेगी सफलता बीन सम्मान ।

Phylosophy

“वक्त के आगोश मे, खोगाया हूं । अपने जमीर को बेच रो गया हूं। सोया हूं, हकीकत से दूर हूं । जरूरतों के आगे मै भी मजबूर हूं ।”

Maithili poems

“नै करू अभिमान अतेक सुंदरता पर गोरी । मन हम्मर साफ़ बड़ी अई, दिल मे नै कोनो चोरी । प्रेम प्रतिज्ञा लेब आही संग करब जोरा जोरी । नै करू अभिमान अतेक …..