Love Poems

“रोज़ समंदर से हो गुजरता हूँ। रूबरू के डर से अँधेरे मे निकलता हूँ। इश्क किया कोई खता तो नही की । पर अंजाम को सोच सोच आगाज़ से डरता हूँ ।”