Manoj Karn

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Life Poem

“एक दिया जला कर आशा का, क्यों रूठे रूठे फिरते हो, उजाला बहुत है जीवन मे क्यों अंधियारों से डरते हो। यह सूरज फिर कल निकलेगी, वह सुनहरा पल आएगा, क्यों घबराते हो इतना तुम अन्धियारा फिर छट जायेगा ।”

Life poem

“कुर्सियों की होड़ है, जैसे कोई दौड़ है, चिपक गए कुर्सी से जैसे च्युइंग गम, अब तो wait है उसकी जो हो सिंघम, धुल चटादे सब को जैसे कोई bom, आरहा है फिर से election वाला कायक्रम ।”

Life poems

“कुर्सियों की होड़ है, जैसे कोई दौड़ है, चिपक गए कुर्सी से जैसे च्युइंग गम, अब तो wait है उसकी जो हो सिंघम, धुल चटादे सब को जैसे कोई bom, आरहा है फिर से election वाला कायक्रम ।”

Life Poem

“जरा ठहरो ओ ज़िंदगी, वक़्त की आजमाइश अभी और बाँकि है । पार चलना तो आदत है जिंदगी की जरा संभालना अभी और बाँकि है ।”

Life Poem

“जवाँ रातो मे, चाँद से बातों मे वक़्त कुछ पानी सा बह जाती है। सूरज की लालीमा जबतलक न छाए निन्दिया रानी कहाँ आती है ।”

Love Poems

“वक़्त के अलमारी से चंद पल चुरा लाया हूं । आज फिर इस दिल को रुला आया हु । कुछ पन्ने क्या खोला अपने अतीत का । जिंदगी फिर से बेवफा पे लूट आया हु ।”